Gehraiyaan Review

निर्देशक : शकुन बत्रा
कलाकार : दीपिका पादुकोण, अनन्या पांडे, सिद्धांत चतुर्वेदी, र्धैर्य करवा, नसीरुद्दीन शाह, रजत कपूर आदि
OTT : Amazon prime video
⭐⭐⭐



वैसे तो आज कल की दुनिया में हर कोई गहराइयों की तलाश में भटकता नजर आता है लेकिन यदि किसी फिल्म का नाम ही गहराइयां हो और उसको गहराई छू कर भी ना जाए तो आपको कैसा लगेगा… बिल्कुल वैसा ही जैसा कि इस फिल्म को देखने के बाद लगता है… “खालीपन” …शून्य सा ।
इस फिल्म के लिए कह सकते हैं “नाम बड़े और दर्शन छोटे”

इस फिल्म को देखने के बाद आपके दिमाग में जो रह जाता है वह है सिर्फ और सिर्फ दीपिका पादुकोण। सब कुछ उनके आसपास ही घूम रहा है और फिल्म देखने के बाद वह आपके दिमाग में कुछ समय के लिए घूमती रहने वाली हैं, यह तो पक्का है।

कभी-कभी चीज़ों को महसूस करना ही बहुत नहीं होता, उसको व्यक्त करना भी बेहद जरूरी पहलू होता है। यह फिल्म, इस फिल्म को बनाने वाले, फिल्म के कलाकार, सभी लोग कितनी भी गहराइयां महसूस कर रहे हों, किंतु ये सभी लोग इस को व्यक्त करने में चूक गए हैं जिसके फलस्वरूप फिल्म दर्शकों से संबंध स्थापित ही नहीं कर पाती है और बहुत ही उथलेपन से भावनाओं को प्रस्तुत करती हुई प्रतीत होती है।
कहानी को कहने का तरीका आपको किरदारों से जोड़ नहीं पाता है, जिसकी वजह से आप किसी भी किरदार की खुशी या गम को उन से जुड़ कर महसूस ही नहीं कर पाते हैं और फिल्म को सिर्फ एक फिल्म के तौर पर ही आंकने के अलावा आपके पास कोई विकल्प शेष नहीं बचता है।

फिल्म के कलाकारों की बात करें तो सब लोग अपनी जगह पर ठीक हैं, लेकिन कोई भी प्रभावित नहीं करता है, जो कि बहुत अच्छी बात नहीं है। कुल मिलाकर जो कलाकार आपको थोड़ा प्रभावित करता है, वह हैं दीपिका पादुकोण क्योंकि उन्हीं के पास कुछ करने के लिए धरातल है फिल्म की कहानी के अनुसार। बाकी कलाकारों के पास करने के लिए इतना कुछ नहीं है और यह बात कहीं ना कहीं खलती है।

अगर मैं कहूं तो मुझे फिल्म में जहां सच में गहराई नजर आती है, तो वह है, जहां नसीरुद्दीन शाह और दीपिका पादुकोण का अपनी बीती हुई जिंदगी को लेकर संवाद है, जो फिल्म के खत्म होने से कुछ समय पहले ही है। वह फिल्म का सर्वोत्तम अंश है, मेरे हिसाब से। इसके अलावा फिल्म में जो उम्दा है, वह है कौशल शाह की सिनेमैटोग्राफी, फिल्म का संगीत, फिल्म की लोकेशन और दीपिका पादुकोण की खूबसूरती।

फिल्म को एक बार जरूर देखा जा सकता है और देखा भी जाना चाहिए किंतु बहुत अधिक उम्मीद के साथ नहीं क्योंकि फिल्म जो बताने और दिखाने की कोशिश कर रही है वह सीधे तौर पर आप तक नहीं पहुंचा पाती है जिसके चलते आपको यह समझना पड़ता है कि आखिर यह फिल्म कह क्या रही है।


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